भारत की सीमाओं का इतिहास लिखने की योजना को केंद्र सरकार की स्वीकृति

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत की सीमाओं का इतिहास नए सिरे से लिखने की योजना को मंजूरी दे दी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 18 सितम्बर 2019 को इस परियोजना को मंजूरी दी है, जिसके अंतर्गत देश की सीमाओं के इतिहास को कलमबद्ध किया जाना है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बारे में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के प्रतिष्ठित व्‍यक्तियों, अभिलेखागार महानिदेशालय, गृह मंत्रालय, नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय, विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ 17 सितंबर 2019 को नई दिल्‍ली में एक बैठक की.

परियोजना का उद्देश्य

इस परियोजना का उद्देश्य शहरों और आंतरिक इलाकों के नागरिकों को सीमांत क्षेत्रों की संस्कृति, इतिहास तथा मानव भूगोल के बारे में जागरूक करना है.

पहली परियोजना

यह आम लोगों तथा मुख्यरूप से सीमा क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को राष्ट्रीय सीमाओं के प्रति जागरूक बनाने के लिए अपनी तरह की पहली परियोजना है.

परियोजना के लिए बजट

रक्षा मंत्रालय ही इस परियोजना के लिए बजट का आंवटन करेगा. रक्षा मंत्रालय ने केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत आने वाली एक स्वायत्त संस्था नेहरु स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय (एनएमएमएल) को इस परियोजना की नोडल एजेंसी के तौर पर चुना है.

नए सिरे से सीमाओं का इतिहास लिखने के इस काम में सीमाओं से जुड़े विभिन्न तथ्यों को समाहित किया जायेगा. इस परियोजना में सीमाओं की पहचान करना, सीमांकन, बदलाव, सुरक्षा बलों और सीमा पर रहने वाले लोगों की भूमिका, सीमावर्ती लोगों की भूमिका उनके जीवन के सांस्‍कृतिक, सामाजिक और आर्थिक स्थितियों को शामिल करने समेत विभिन्न पहलुओं को सम्मिलित किया जाएगा. इस परियोजना को दो साल के भीतर पूरा हो जाने की उम्‍मीद है.

भारत का लगभग 14 हजार किलोमीटर लंबी सीमा है. यह सीमा बांग्लादेश, भूटान, चीन, नेपाल, म्यांमार, अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे देशों से सटी हुई है. भारत की सीमा समुद्री क्षेत्र में श्रीलंका, इंडोनेशिया तथा मालदीव से लगी हुई है.

सीमाओं को बेहतर तरीके से समझने में मदद

रक्षा मंत्री के अनुसार, नए सीरे से सीमाओं के इतिहास लेखने से लोगों तथा विशेष रूप से अधिकारियों को देश की सीमाओं को अच्छी तरीके से समझने में मदद मिलेगी.