केंद्र सरकार ने रोहतांग टनल का नाम ‘अटल टनल’ रखा

Rohtang Tunnel To Be Renamed As Atal Tunnel | Holidify

केंद्र सरकार ने हाल ही में रोहतांग दर्रे का नाम बदलकर ‘अटल सुरंग’ कर दिया है. यह टनल (सुरंग) लेह और मनाली क्षेत्रों को जोड़ती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती पर 25 दिसंबर 2019 को उनकी स्मृति में रोहतांग टनल का नामकरण ‘अटल टनल’ के रूप में करने की घोषणा की.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि मनाली को लेह से जोड़ने वाली रोहतांग सुरंग अब अटल सुरंग के रूप में जानी जाएगी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने सुरंग के नामकरण की लंबे समय से लंबित मांग को पूरा किया है. उन्होंने यह भी कहा कि यह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि होगी.

निर्माण पर खर्च
 

इसके निर्माण पर लगभग चार हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. शुरुआती चरण में सुरंग की निर्माण लागत लगभग 1400 करोड़ रुपये आंकी गई थी. सुरंग के ठीक ऊपर स्थित सेरी नदी के पानी के रिसाव के कारण सुरंग के निर्माण में लगभग पांच साल की देरी हुई.

अटल सुरंग से होने वाले फायदे

इस सुरंग का निर्माण सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) कर रही है और निर्माण कार्य साल 2020 तक पूरा हो जायेगा. सुरंग पूरी होने पर सभी मौसम में लाहौल और स्पीति घाटी के सुदूर के क्षेत्रों में सम्पर्क सुगम होगा. इससे मनाली और लेह की दूरी भी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी.

 

पृष्ठभूमि

रोहतांग दर्रे के नीचे रणनीतिक महत्‍व की सुरंग बनाए जाने का ऐतिहासिक फैसला 03 जून 2000 को लिया गया था. यह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान तय किया गया था. सुरंग के दक्षिणी भाग को जोड़ने वाली सड़क की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी. अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2003 में रोहतांग टनल का शिलान्यास किया था.

सुरंग के दोनों छोर पर सड़क निर्माण 15 अक्टूबर 2017 को पूरा हुआ था. हिमाचल प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल की बैठक में 20 अगस्त 2018 को इस टनल का नाम पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर रखने का प्रस्ताव किया गया था तथा बाद में इसे केंद्र सरकार की मंजूरी के लिए पारित किया गया था.