आर्थिक समीक्षा 2018-19

मोदी सरकार 2.0 का पहला आर्थिक सर्वेक्षण संसद में पेश किया गया है. वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2018-19 का आर्थिक सर्वेक्षण संसद में पेश किया है. इसके अनुसार, 2019-20 में विकास दर में तेजी आएगी और इसके 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है. पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पांच साल के न्यूनतम स्तर 6.8 प्रतिशत रही थी. सात प्रतिशत वृद्धि दर का मतलब है कि भारत दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ता रहेगा. वहीं, ग्लोबल ग्रोथ के कम रहने की भी संभावना व्यक्त की गई है.

आर्थिक सर्वेक्षण 2019 की मुख्य बातें

•    2024-25 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए आठ प्रतिशत की सतत वास्तविक जीडीपी विकास दर की जरूरत है.
•    बचत, निवेश और निर्यात को सतत विकास के लिए आवश्यक अनुकूल जनसाख्यिकी चरण द्वारा उत्प्रेरित और समर्थित ‘महत्वपूर्ण चक्र’
•    निजी निवेश – मांग, क्षमता, श्रम उत्पादकता, नई प्रौद्योगिकी, रचनात्मक खंडन और नौकरी सृजन का मुख्य वाहक.
•    समीक्षा अर्थव्यवस्था को नैतिक या अनैतिक चक्र के रूप में देखते हुए परम्परागत एंगलो-सेक्सोन विचारधारा से अलग करते हुए कभी भी समतुल्य न होना.
•    वित्त वर्ष 2019-20 में मांग बढ़ने से निवेश की दर बढ़ेगी.
•    वित्त वर्ष 2019-20 में तेल की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है.
•    समीक्षा में एमएसएमई को अधिक लाभ अर्जित करने, रोजगार जुटाने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए विकास योग बनाने पर ध्यान दिया गया है।
•    दस साल पुरानी होने के बावजूद सौ कामगारों से कम कार्य बल वाली बौनी यानी छोटी फर्मो की संख्या विनिर्माण में लगी सभी संगठित फर्मों में पचास प्रतिशत से अधिक है।
•    छोटी फर्मो का रोजगार में केवल 14 प्रतिशत और उत्पादकता में आठ प्रतिशत योगदान है।
•    सौ से अधिक कर्मचारियों वाली बड़ी फर्मो का संख्या के हिसाब से हिस्सेदारी 15 प्रतिशत होने के बावजूद रोजगार में 75 प्रतिशत और उत्पादकता में 90 प्रतिशत योगदान है

स्‍वच्‍छ भारत मिशन का विश्‍लेषण

•    स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के जरिये लाये गये उल्लेखनीय स्वास्थ्य लाभ.
•    93.1 प्रतिशत परिवारों की शौचालयों तक पहुंच.
•    जिन लोगों की शौचालयों तक पहुंच है, उनमें से 96.6 प्रतिशत ग्रामीण भारत में उनका उपयोग कर रहे है.
•    30 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में 100 प्रतिशत व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (आईएचएचएल) की कवरेज.
•    परिवारों के लिए घरेलू शौचालय से वित्तीय बचत, वित्तीय लागत से औसतन 1.7 गुना और गरीब परिवारों के लिए 2.4 गुना बढ़ गई है.
•    दीर्घकालिक सतत सुधारों के लिए पर्यावरणीय और जल प्रबंधन संबंधी मामलों को एसबीएम में शामिल किये जाने की जरूरत है.

कृषि और खाद्य प्रबंधन
•    सकल पूंजी निर्माण (जीसीएफ) 2017-18 में कृषि क्षेत्र में सकल पूंजी निर्माण 15.2 प्रतिशत घटा. 2016-17 में यह 15.6 प्रतिशत रहा था.
•    कृषि में 2016-17 के दौरान  सार्वजनिक क्षेत्र का जीसीएफ जीवीए के प्रतिशत के रूप में 2.7 प्रतिशत बढ़ा. 2013-14 में यह 2.1 प्रतिशत के स्तर पर था.
•    कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी 2005-06 के अवधि के 11.7 प्रतिशत की तुलना में 2015-16 में बढ़कर 13.9 प्रतिशत हो गई. छोटे और सीमांत किसानों में ऐसी महिलाओं की संख्या 28 प्रतिशत रही.
•    छोटे और सीमांत किसानों में भूमि स्वामित्व वाले परिचालन वाली खेती के मामलों में बदलाव देखा गया.
•    89 प्रतिशत भू-जल का इस्तेमाल सिंचाई कार्य के लिए किया गया है. ऐसे में भूमि की उत्पादकता से अधिक ध्यान सिंचाई के लिए जल की उत्पादकता पर दिया जाना चाहिए.
•    उर्वरकों के प्रभाव का अनुमात लगातार घट रहा है. जीरो बजट सहित जैविक और प्राकृतिक खेती की तकनीक सिंचाई जल के तर्कसंगत इस्तेमाल और मिट्ठी की उर्वरता को बढ़ाने में मदद कर सकती है.

आर्थिक सर्वेक्षण किसे कहते हैं?

  • आर्थिक मामलों के विभाग, भारत का वित्त मंत्रालय, केंद्रीय बजट से पहले हर साल संसद में आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत करते हैं.
  • यह मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय के मार्गदर्शन में तैयार किया जाता है.
  • यह देश के वार्षिक आर्थिक विकास पर मंत्रालय का अवलोकन होता है.
  • वित्त मंत्रालय, भारत सरकार, आर्थिक सर्वेक्षण का एक प्रमुख वार्षिक दस्तावेज पिछले 12 महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास की समीक्षा करता है, प्रमुख विकास कार्यक्रमों पर प्रदर्शन का सारांश देता है, और लघु से मध्यम अवधि में अर्थव्यवस्था पर सरकार की नीतिगत पहलों और संभावनाओं पर प्रकाश डालता है.
  • यह दस्तावेज बजट सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत किया जाता है.