Economic Survey 2019-20

Economic Survey 2020: Here's everything you need to know - The ...

मोदी सरकार 2.0 का दूसरा आर्थिक सर्वेक्षण (Economy Survey 2019-20) संसद में पेश किया गया है. यह रिपोर्ट देश की आर्थिक स्थिति की वर्तमान स्थिति तथा सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से मिलने वाले परिणामों को दर्शाती है. केन्द्रीय वित्त मंत्री द्वारा 01 फरवरी 2020 को संसद में बजट पेश किया जायेगा. बजट से एक दिन पहले प्रत्येक वर्ष आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया जाता है. आर्थिक सर्वेक्षण द्वारा देश में आर्थिक स्थिति की जानकारी देता है.

आर्थिक सर्वेक्षण में पिछले वर्ष का आर्थिक ब्यौरा दिया गया होता है. आर्थिक सर्वेक्षण में देश में अर्थव्यवस्था की तस्वीर का पता चलता है और आगामी बजट की झलक भी मिलती है. मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यन ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के भाषण के बाद संसद के दोनों सदनों में आर्थिक सर्वेक्षण 2020 प्रस्तुत किया है. सीईए कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने कहा कि इस साल आर्थिक सर्वेक्षण का थीम धन सृजन है. राष्ट्रपति ने संसद में वित्त आयोग की अंतरिम रिपोर्ट को भी पेश किया.

 

निवेश धीमा होने से भारत पर असर 

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर कमजोर होने तथा देश के वित्तीय क्षेत्र की समस्याओं के चलते निवेश धीमा होने से भारत पर असर पड़ रहा है. इस वजह से चालू वित्त वर्ष में घरेलू आर्थिक वृद्धि दर एक दशक के निचले स्तर पर आ गई है.

पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था

आर्थिक समीक्षा में पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था बनने संबंधी भारत की आकांक्षा का उल्‍लेख किया गया है. यह बिजनेस अनुकूल नीति को बढ़ावा देना जो धन सृजन हेतु प्रतिस्‍पर्धी बाजारों की ताकत को उन्‍मुक्‍त करती है.

 

खाद्यान्‍न बाजार में सरकारी हस्‍तक्षेप के कारण, सरकार गेहूं और चावल की सबसे बड़ी खरीददार होने के साथ ही सबसे बड़ी जमाखोर भी हो गई है. खाद्यान्‍न में नीति को अधिक गतिशील बनाना तथा अनाजों के वितरण हेतु पारंपरिक पद्धति के स्‍थान पर नकदी अंतरण– फूड कूपन तथा स्‍मार्ट कार्ड का उपयोग करना है.

निजीकरण और धन सृजन 

समीक्षा में सीपीएससी के विनिवेश से होने वाले लाभों की जांच की गई है तथा इससे सरकारी उद्यमों के विनिवेश करने को बल मिलता है. वित्त वर्ष 1999-2000 से वित्त वर्ष 2003-04 के दौरान 11 केन्द्रीय उद्यमों के रणनीतिक विनिवेश के प्रदर्शन का विश्लेषण किया गया है.

थालीनॉमिक्सः भारत में भोजन की थाली की अर्थव्यवस्था
 

पूरे भारत में थाली हेतु आम व्यक्ति द्वारा कितना भुगतान किया जाता है परिमाणित करने का एक प्रयास है. वित्त वर्ष 2015-16 से शाकाहारी थाली के मूल्य में काफी कमी आई है हालांकि मूल्य में 2019-20 में वृद्धि हुई है. शाकाहारी थाली के मामले में खाद्य मूल्य में कमी होने से औसत परिवार को औसतन लगभग 11,000 रुपये का लाभ हुआ है. शाकाहारी थाली की वहनीयता 29 फीसदी बेहतर हुई है. मांसाहारी थाली की वहनीयता 18 फीसदी बेहतर हुई है.

मूल्य और मुद्रास्फीति

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2018-19 (अप्रैल से दिसंबर 2018) में 3.7 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2019-20 (अप्रैल से दिसंबर 2019) में 4.1 प्रतिशत हो गई. थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2018-19 (अप्रैल से दिसंबर 2018) में 4.7 फीसदी से गिरकर वित्त वर्ष 2019-20 (अप्रैल से दिसंबर 2019) में 1.5 प्रतिशत हो गई.

कृषि तथा खाद्य प्रबंधन
 

भारतीय आबादी का बड़ा हिस्सा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अन्य क्षेत्रों की तुलना में रोजगार अवसरों के लिए कृषि पर निर्भर करता है. देश के कुल मूल्यवर्धन (जीवीए) में कृषि तथा संबद्ध क्षेत्रों की हिस्सेदारी गैर-कृषि क्षेत्रों की अधिक वृद्धि के कारण कम हो रही है. भारत में कृषि का मशीनरीकरण 40 प्रतिशत है, जो चीन के 59.5 प्रतिशत तथा ब्राजील के 75 प्रतिशत से काफी कम है.

रोजगार और मानव विकास

केंद्र और राज्यों द्वारा सामाजिक सेवाओं (स्वास्थ्य, शिक्षा एवं अन्य) पर जीडीपी के अनुपात के रूप में व्यय वित्त वर्ष 2014-15 में 6.2 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2019-20 (बजटीय अनुमान) में 7.7 प्रतिशत हो गया है. मानव विकास सूचकांक में भारत की रैंकिंग में साल 2017 की 130 की तुलना में 2018 में 129 हो गई. अर्थव्यवस्था में कुल औपचारिक रोजगार में वित्त वर्ष 2011-12 के 8 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष 2017-18 में 9.98 प्रतिशत वृद्धि हुई.

कर्ज माफी

केंद्र और राज्‍यों की ओर से दी जाने वाली कर्ज माफी की समीक्षा की जायेगी. पूरी तरह से कर्ज माफी की सुविधा वाले लाभार्थी कम खपत, कम बचत, कम निवेश करते हैं जिससे आंशिक रूप से कर्ज माफी वाले लाभार्थियों की तुलना में उनका उत्‍पादन भी कम होता है.

विकास और रोजगार सृजन

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत के पास श्रम आधारित निर्यात को बढ़ावा देने हेतु चीन के समान अभूतपूर्व अवसर हैं. दुनिया के लिए भारत में एसेम्‍बल इन इंडिया और मेक इन इंडिया योजना को एक साथ मिलाने से निर्यात बाजार में भारत की हिस्‍सेदारी साल 2025 तक 3.5 फीसदी तथा साल 2030 तक 6.0 फीसदी हो जाएगी.

2025 तक देश में अच्‍छे वेतन वाली चार करोड़ नौकरियां होंगी और साल 2030 तक इनकी संख्‍या आठ करोड़ हो जाएगी. भारत को साल 2025 तक पांच हजार अरब वाली अर्थव्‍यवस्‍था बनाने हेतु जरूरी मूल्‍य संवर्धन में नेटवर्क उत्‍पादों का निर्यात एक तिहाई की वृद्धि करेगा.

बैंकों के राष्‍ट्रीयकरण की स्‍वर्ण जयंती

समीक्षा में कहा गया कि साल 2019 में भारत में बैंकों के राष्‍ट्रीयकरण का 50 वर्ष पूरे हुए. इसमें कहा गया कि साल 1969 से जिस रफ्तार से देश की अर्थव्‍यवस्‍था का विकास हुआ उस हिसाब से बैंकिंग क्षेत्र विकसित नहीं हो सका. भारत का केवल एक बैंक विश्‍व के 100 शीर्ष बैंकों में शामिल हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रदर्शन के पैमाने पर अपने समकक्ष समूहों की तुलना में उतने सक्षम नहीं हैं.

एनबीएफसी क्षेत्र में वित्‍तीय जोखिम

समीक्षा में बैंकिंग क्षेत्र में नकदी के मौजूदा संकट को देखते हएु शेडों बैंकिंग के खतरों को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारणों का पता लगाना है. समीक्षा हेल्थ स्कोर की गणना करता है इसके लिए हाउसिंग फाइनान्स कम्पनी और रिटेल गैर-बैंकिंग रिटेल कम्पनियों की आवर्ती जोखिम की गणना की जाती है.

कारोबारी सुगमता लक्ष्‍य

विश्‍व बैंक के कारोबारी सुगमता रैंकिंग में भारत साल 2014 में 142वें स्‍थान पर था वहीं साल 2019 में 63वें स्‍थान पर पहुंच गया. हालांकि इसके बावजूद भारत कारोबार शुरू करने की सुगमता संपत्ति के रजिस्‍ट्रेशन, करों का भुगतान तथा अनुबंधों को लागू करने के पैमाने पर अभी भी काफी पीछे हैं.

कारोबारी सुगमता को बेहतर बनाने के सुझाव में कहा गया है कि पर्यटन या विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में अवरोध खड़े करने वाली नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाने हेतु ज्‍यादा लक्षित उपायों की जरूरत है.

आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 की मुख्य बातें

  • आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी ग्रोथ 6 फीसदी से 6.5 फीसदी रह सकती है. चालू वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ 5 फीसदी रहने का ही अनुमान है.
  • इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार, वित्‍त वर्ष 2020 की दूसरी छमाही में देश की अर्थव्‍यवस्‍था पटरी पर लौट आएगी. इसके बाद वित्‍त वर्ष 2021 में इसके मजबूत स्थिति में पहुंचाने का अनुमान जताया गया है.
  • आर्थिक सर्वेक्षण में उम्‍मीद जताई गई हैं कि सरकार बजट 2020 में व्‍यक्तिगत करदाताओं को आयकर (Income Tax) में राहत की घोषणा कर सकती है. साथ ही  इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर (आधारिक संरचना) सेक्‍टर में निवेश बढ़ाने वाली घोषणाएं कर सकती है.
  • आर्थिक सर्वेक्षण 2020 के अनुसार अमेरिका, ईरान और इराक के बीच तनाव बढ़ने के वजह से कच्‍चे तेल की कीमतों पर असर पड़ रहा है. वहीं, फूड सब्सिडी पर काबू पाने पर सरकार का जोर है.
  • सर्वे में कहा गया है कि यदि घरों की बिक्री बढ़ती है तो बैंकों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों को फायदा मिलेगा.
  • मुख्‍य आर्थिक सलाहकार कृष्‍णमूर्ति सुब्रमण्‍यन ने वित्‍त वर्ष 2020-21 में कृषि और इससे जुड़े क्षेत्र में 2.8 फीसदी ग्रोथ का भरोसा जताया है.
  • आर्थिक समीक्षा में भारत में प्रशासनिक पिरामिड के सबसे निचले स्‍तर पर अर्थात 500 से अधिक जिलों में उद्यमिता से जुड़े घटकों और वाहकों पर गौर किया गया है.
  • आर्थिक समीक्षा में यह सुझाव दिया गया है कि कारोबार में सुगमता बढ़ाने और लचीले श्रम कानूनों को लागू करने से जिलों और इस तरह से राज्‍यों में अधिकतम रोजगारों का सृजन हो सकता है.
  • आर्थिक समीक्षा में भारत की ओर से किए गए व्‍यापार समझौतों का कुल व्‍यापार संतुलन पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्‍लेषण किया गया है.

आर्थिक सर्वेक्षण क्या है?

यह सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था की समीक्षा प्रस्तुत करती है. यह एक वार्षिक दस्तावेज़ है.  इसे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है. पिछले एक साल में देश में हुए विकास, निवेश और योजनाओं एवं इसके क्रियान्वयन आदि के बारे में जानकारी दी जाती है. सरकार ने किस क्षेत्र के लिए विकास योजना बनाई और उस पर कितना कार्य हुआ यह आर्थिक समीक्षा में बताया जाता है. आर्थिक सर्वेक्षण में छोटी अवधि से लेकर मध्यावधि तक अर्थव्यवस्था की संभावनाएं गिनवाई जाती हैं. इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट तैयार करने में कई महीने लगते हैं.