इस 24 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक ने उत्तर प्रदेश के कुशीनगर हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित करने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है.
कुशीनगर हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के तौर पर घोषित करने से बेहतर कनेक्टिविटी के साथ-साथ हवाई यात्रियों को प्रतिस्पर्धी लागतों की व्यापक पसंद की भी पेशकश होगी. इससे इस क्षेत्र के घरेलू/ अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.
उत्तर प्रदेश का कुशीनगर हवाई अड्डा कई बौद्ध सांस्कृतिक स्थलों जैसेकि, कपिलवस्तु, श्रावस्ती और लुम्बिनी के निकट के क्षेत्र में स्थित है. कुशीनगर उत्तर प्रदेश के उत्तरपूर्वी भाग में स्थित है. यह गोरखपुर से लगभग 50 किमी पूर्व में है और यह महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है.
कुशीनगर में बौद्ध क्षेत्र दुनिया भर में बौद्ध धर्म मानने वाले 530 मिलियन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान है. कुशीनगर हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के तौर पर घोषित करने से ग्राहकों को बेहतर कनेक्टिविटी के साथ ही प्रतिस्पर्धी हवाई यात्रा सेवाओं की व्यापक पसंद की पेशकश होगी, जिससे इस क्षेत्र में पर्यटन और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.
कंबोडिया, थाईलैंड, बर्मा, जापान आदि देशों से लगभग 200-300 भक्त प्रत्येक दिन कुशीनगर में आकर अपनी प्रार्थना करते हैं. इतनी बड़ी संख्या में आगंतुकों के आने के बावजूद, इस अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल की कोई सीधी कनेक्टिविटी नहीं है.
पृष्ठभूमि
- कुशीनगर एक महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थ स्थल है क्योंकि यह वह स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था.
- इस जगह को एक बहुत ही पवित्र बौद्ध तीर्थस्थल माना जाता है, जहां दुनिया भर से बौद्ध तीर्थयात्री तीर्थ यात्रा के लिए आते हैं.
- कुशीनगर को कपिलवस्तु (190 किमी), श्रावस्ती (238 किमी), और लुम्बिनी (195 किमी) जैसे कई अन्य बौद्ध स्थलों के साथ जोड़ा गया है.
- ये स्थान कुशीनगर को आगंतुकों और अनुयायियों दोनों के लिए एक महत्त्वपूर्ण गंतव्य स्थान बनाते हैं.
- कुशीनगर भारत और नेपाल में फैले विभिन्न बौद्ध तीर्थयात्रा स्थलों के लिए एक प्रमुख स्थल के तौर पर भी प्रसिद्ध है.