भारत पहली बार संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) के संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के पार्टियों (कॉप-14) के 14वें सत्र की मेजबानी करने वाला है. भारत में यह सम्मेलन 02 सितंबर से 13 सितंबर तक आयोजित होगा. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि इस शिखर सम्मेलन में लगभग 200 देश शामिल होंगे तथा 3,000 प्रतिनिधि भाग लेंगे.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के अनुसार अगले 10 साल में 50 लाख हेक्टेयर बंजर जमीन को उपजाऊ बनाया जाएगा. इससे करीब 75 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. इस सम्मेलन का प्रयास खराब जमीन को उपजाऊ जमीन में बदलने का प्रयास है. यहां कई देशों के वैज्ञानिक अपने-अपने इनोवेशन की भी प्रदर्शनी करेंगे.
कॉप (COP) का प्रमुख कार्य
- कॉप (COP) का प्रमुख कार्य उन रिपोर्टों की समीक्षा करना है जो सदस्य देश अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के संदर्भ में बैठक के दौरान रखते हैं.
- कॉप के इस सम्मेलन में राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, स्थानीय निकाय, विज्ञान और अनुसंधान क्षेत्र, निजी क्षेत्र, अंतरराष्ट्रीय एवं स्वयंसेवी संगठन और मीडिया के प्रतिनिधि भाग लेंगे.
खेती के योग्य बनाने हेतु यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन के साथ समझौता
केंद्र सरकार बंजर जमीन को खेती के योग्य बनाने के लिए यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन के साथ समझौता भी करेगी. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आगे कहा कि हमारी सरकार नई दिल्ली डिक्लेरेशन में बताए गए नियम एवं कायदों के मुताबिक इस काम को आगे बढ़ाएंगे.
यूएनसीसीडी (कॉप-14) में 200 देश भाग लेंगे
प्रकाश जावड़ेकर के अनुसार, यूएनसीसीडी (कॉप-14) में 200 देश भाग लेंगे. रियो डी जेनेरियो (ब्राज़ील) के बाद पहली बार इस तरह का प्रयास किया जा रहा है. भारत अगले दो साल तक यूएन सीसीडी का अध्यक्ष रहेगा.
इस सम्मेलन में लगभग 100 देशों के मंत्री भी आएंगे. इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे. इस सम्मेलन में 09 सितंबर और 10 सितंबर को सभी देशों के मंत्री शामिल होंगे. यह सम्मेलन ग्रेटर नोएडा में होगा.
देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 30 प्रतिशत प्रभावित
- पर्यावरण मंत्री के अनुसार जमीन के क्षरण से देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 30 प्रतिशत प्रभावित हो रहा है.
- भारत ने पेरिस में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, 2015 में स्वैच्छिक रूप से बोन चुनौती पर स्वीकृति दी थी.
- बोन चुनौती एक वैश्विक प्रयास है.
- भारत ने कहा था कि 13 मिलियन हेक्टेयर गैर-वनीकृत एवं बंजर भूमि पर साल 2020 तक और अतिरिक्त 8 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर साल 2030 तक वनस्पतियां उगाई जायेंगी.
- इसमें मदद हेतु देहरादून में सेंटर ऑफ एक्सक्सेल की स्थापना भी की जाएगी.
कॉप (COP) क्या है?
- यह जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क (यूएनएफसीसीसी) सम्मेलन का सर्वोच्च निकाय है.
- इस निकाय के तहत विभिन्न दलों के प्रतिनिधियों को सम्मेलन में शामिल किया गया है.
- यह प्रत्येक साल अपने सत्र आयोजित करता है.
- कॉप, सम्मेलन के प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक निर्णय लेता है और नियमित रूप से इन प्रावधानों के कार्यान्वयन की परीक्षण करता है.
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क (यूएनएफसीसीसी):
- जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क (यूएनएफसीसीसी) एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है.
- इसका मुख्य उद्देश्य वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करना है.
- यह समझौता जून 1992 के पृथ्वी सम्मेलन के दौरान किया गया था.
- इस समझौते पर विभिन्न देशों द्वारा हस्ताक्षर के बाद 21 मार्च 1994 को इसे लागू किया गया था.
- यूएनएफसीसीसी की वार्षिक बैठक का आयोजन साल 1995 से लगातार किया जाता है.
- यूएनएफसीसीसी की वार्षिक बैठक को कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज (कॉप) के नाम से भी जाना जाता है.