जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक, 2019 संसद द्वारा पारित

What is the Jallianwala Bagh National Memorial (Amendment) Bill ...

राज्यसभा में 19 नवंबर 2019 को जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक पारित हो गया है. यह विधेयक राज्यसभा में लंबी चर्चा के बाद ध्वनिमत के साथ पारित हुआ है. इस संशोधन के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष का न्यास के पदेन सदस्य होने का हक समाप्त हो जायेगा. उसके जगह पर लोकसभा में विपक्ष के नेता या सबसे बड़े दल के नेता को सदस्य बनाया जायेगा.

राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम, 1951 के अंतर्गत प्रावधान था कि इसके न्यासी कांग्रेस प्रमुख होंगे. प्रावधान के अनुसार, केंद्र सरकार इस ट्रस्ट के लिए तीन ट्रस्टियों को पांच साल के लिए नामित करती है. संशोधन के बाद नये प्रावधानों में केंद्र सरकार को यह हक दिया गया है कि वे ट्रस्ट के किसी सदस्य को उसका कार्यकाल पूरा होने से पहले ही हटा सकती है.

केंद्रीय संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने बिल पेश करते हुए कहा कि जलियांवाला बाग एक राष्ट्रीय स्मारक है तथा घटना के 100 साल पूरे होने के अवसर पर हम इस स्मारक को राजनीति से मुक्त करना चाहते हैं. इस विधेयक को लोकसभा में 02 अगस्त को पारित किया गया था.

जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक2019

  • इस विधेयक के द्वारा जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम 1951 में संशोधन शामिल है.
  • इस संशोधन बिल में जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम में कांग्रेस के अध्यक्ष को स्थायी सदस्य के तौर पर हटाने का प्रावधान है.
  • विधेयक यह स्पष्ट करता है कि जब लोकसभा में विपक्ष का कोई नेता नहीं होता है, केवल सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को ट्रस्टी बनाया जाएगा.
  • यह विधेयक केंद्र सरकार को यह अधिकार दिया है कि वह ट्रस्ट के किसी सदस्य को उसका कार्यकाल पूरा होने से पहले ही हटा सकती है.

संशोधन के लिए कारण

  • संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने संसद में कहा कि सरकार स्वतंत्रता आंदोलन के सभी शहीदों को सम्मानित करने के लिए प्रतिबद्ध है तथा यह संशोधन उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
  • जलियांवाला बाग ट्रस्ट की स्थापना साल 1921 में की गई थी और जनता द्वारा वित्त पोषित किया गया था. नए न्यास का गठन साल 1951 में किया गया था.
  • नए न्यास में व्यक्ति विशेष को सदस्य बनाया गया तथा किसी संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति को इसमें शामिल नहीं किया गया था.
  • अब, सरकार निर्वाचित लोगों को संवैधानिक और प्रशासनिक पदों में शामिल कर रही है. किसी विशेष व्यक्ति को नामित नहीं किया जायेगा. साथ ही, इन सदस्यों को हर पांच साल के बाद बदल दिया जायेगा. साथ ही, शहीदों के परिजनों को भी ट्रस्ट में शामिल किया जायेगा.