लोकसभा ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (अमेंडमेंट) बिल-2020 को पारित किया

Lok Sabha okays Medical Termination of Pregnancy (Amendmentt) Bill ...

लोकसभा ने 17 मार्च 2020 को ‘गर्भ का चिकित्सकीय समापन संशोधन विधेयक 2020’ (The Medical Termination of Pregnancy (Amendment) Bill-2020) पारित कर दिया. इस विधेयक में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट-1971 में संशोधन का प्रस्ताव रखा गया है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन ने निचले सदन में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि गर्भपात की मंजूरी केवल असाधारण परिस्थितियों के लिए है तथा इसके लिए पूरी सावधानी रखी गयी है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक महिलाओं की गरिमा, स्वायत्तता तथा उनके बारे में गोपनीयता प्रदान करने वाला है.

20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह
 

लोकसभा में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी विधेयक-2020 पारित हो गया. इसमें गर्भपात की सीमा बढ़ाकर 24 हफ्ते करने का प्रवाधान है. इससे पहले महिलाएं अधिकतम 20 हफ्ते तक ही गर्भपात करा सकती थीं.

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इस विधेयक को हर संभव संबंधित पक्ष से चर्चा के बाद तैयार किया गया तथा इसमें ऐसा भी प्रावधान किया गया है कि प्रस्तावित कानून का दुरुपयोग नहीं हो.

किसको मिलेगा फायदा

यह प्रावधान विशेष वर्ग की महिलाओं के लिए किया गया है. इस प्रावधान में दुष्कर्म पीड़िता, सगे-संबंधियों की बुरी नजर की शिकार पीड़िताएं, दिव्यांग और नाबालिग शामिल हैं. चिकित्सकीय, मानवीय और सामाजिक आधार पर इस प्रावधान को लागू किया जा सकता है.

 

इस बिल की जरुरत क्यों पड़ी?

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने विधेयक को रखा और इसे प्रगतिशील बताते हुए कहा कि महिलाओं के सुरक्षित गर्भपात के लिहाज से यह समय की जरूरत है. 20 सप्ताह में गर्भपात करवाना सुरक्षित नहीं था. इससे कई महिलाओं की मौत हो जाती थी. लेकिन 24 सप्ताह में गर्भपात करवाना ज्यादा सुरक्षित होगा. इससे गर्भपात के दौरान होने वाली मौत होने की संभावनाएं घटेंगी.

विधेयक का उद्देश्य

इस विधेयक का उद्देश्य स्त्रियों की सुरक्षित गर्भपात सेवाओं तक पहुंच में वृद्धि करने तथा असुरक्षित गर्भपात के कारण मातृ मृत्यु दर और अस्वस्थता दर एवं उसकी जटिलताओं में कमी लाना है. सरकार के अनुसार इस विधेयक के तहत गर्भपात की सीमा को बढ़ाकर 24 सप्ताह करने से दुष्कर्म पीड़िता और निशक्त लड़कियों को सहायता मिलेगी.