मिग-27 फाइटर जेट को कारगिल युद्ध के नायक के रूप में जाना जाता है जिसने आज अपनी आखिरी उड़ान भरी. यह अपने सेवा काल में भारतीय वायु सेना का मुख्य लड़ाकू विमान रहा है जिसने 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान अपना पराक्रम सिद्ध किया था. स्क्वाड्रन के अंतिम लड़ाकू विमान ने जोधपुर एयरबेस से उड़ान भरी.
स्क्वाड्रन को 31 मार्च 2020 को नंबर प्लेट किया जाएगा जिसका अर्थ है कि अपनी सेवाओं से रिटायर हो जायेगा. जोधपुर में मिग-27 स्क्वाड्रन का अंतिम बैच मौजूद है. हालाँकि, इस स्क्वाड्रन को IAF की सर्वश्रेष्ठ टीम में से एक के रूप में जाना जाता था.
भारत में मिग-27
- मिग-27 विमान का भारतीय वायु सेना के इतिहास में एक विशेष महत्व रहा है. मिग श्रेणी के विमान को सोवियत रूस से खरीदा गया था जबकि इसे पहली बार 1981 में भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था.
- यह फाइटर जेट 38 वर्षों से सेवा में है और इसे बेहतरीन एयर-टू-ग्राउंड हमलावर विमान माना जाता है.
- एचएएल (HAL) ने रूस से लाइसेंस के आधार पर कुल 165 मिग-27 विमानों का निर्माण किया. बाद में, इनमें से 86 विमानों को अपग्रेड किया गया.
- प्रत्येक विमान 1700 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से उड़ान भरते हुए 4,000 किलोग्राम तक के हथियार ले जा सकता है.
- इस स्क्वाड्रन की स्थापना 10 मार्च 1958 को ओरगन (स्टॉर्मी) विमान द्वारा वायु सेना स्टेशन हलवारा में की गई थी.
- इस स्क्वाड्रन में कई प्रकार के फाइटर जेट शामिल थे जैसे मिग 21 टाइप 77, मिग 21 टाइप 96, मिग 27 एमएल और मिग 27 अपग्रेडेड.
मिग-27 विमान की विशेषताएं
- मिग -27 रूसी लड़ाकू विमान है. यह मिकोयान-गुरेविच मिग -23 फाइटर जेट पर आधारित है लेकिन मिग -23 के विपरीत यह हवा से जमीन पर हमले करने के लिए जाना जाता है.
- इसकी कुछ ने विशेषताओं में स्टैंड-बाय (पारंपरिक) इंस्ट्रूमेंटेशन, अल्टीमीटर, कृत्रिम क्षितिज और एयरस्पीड संकेतक शामिल हैं.
- मिग-27 अपने समय के सबसे उन्नत विमानों में से एक था क्योंकि यह फ्रांसीसी एगेव या रूसी कोमार रडार से लैस था जिसने इसे जहाज-रोधी और हवा से हवा में मार करने वाला जेट बना दिया था.
- यह समुद्र तल पर 8,000 मीटर की ऊँचाई पर उड़ते हुए अधिकतम 1,885 किमी/घंटा की गति प्राप्त कर सकता है. इसका खाली वजन 11,908 किलोग्राम है जबकि इसकी अधिकतम टेक-ऑफ वज़न क्षमता 20,670 किलोग्राम है.