NGT ने लगाईं भूजल के व्यावसायिक उपयोग पर सख्त शर्तें

NGT imposes strict rules for commercial use of Groundwater

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भूजल के व्यावसायिक उपयोग के लिए कड़ी शर्तें तय करने का फैसला किया है. NGT ने अधिकारियों को अनुमति देने, उल्लंघन करने के मामले में कठोर कार्रवाई शुरू करने और हर साल कारोबारों के तीसरे-पक्ष के अनुपालन ऑडिट को अनिवार्य बनाने के लिए कड़ा रुख अपनाने के लिए कहा है.

ट्रिब्यूनल ने केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) के वर्ष 2020 के दिशानिर्देशों को भी यह कहते हुए निरस्त कर दिया है, कि वे दिशानिर्देश कानून के खिलाफ थे. इससे पहले, वर्ष 2018 के दिशानिर्देशों को भी NGT ने निरस्त कर दिया था.

एक उद्योग कार्यकारी अधिकारी के अनुसार, NGT की इस नवीनतम कार्यवाही ने भूजल उपयोग के लिए  अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) के लिए विभिन्न उद्योगों से प्राप्त लगभग 20,000 आवेदन रोक रखे हैं.
 

NGT की नई शर्तें: मुख्य विशेषताएं

  • NGT के निर्देश के अनुसार, उद्योगों को व्यावसायिक गतिविधियों के लिए भूजल की निकासी के लिए जिस तरीके से परमिट जारी किए जाते हैं, उसी तरह से उन उद्योगों से पूर्ण बहाली की उम्मीद की जानी चाहिए. उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि, सभी शर्तों का अनुपालन होगा.
  • ट्रिब्यूनल ने विशेष रूप से वाणिज्यिक संस्थाओं के लिए पर्यावरणीय प्रभाव आकलन के बिना भूजल की निकासी की सामान्य अनुमति पर विशेष रूप से प्रतिबंध लगा दिया है.
  • यह परमिट पानी की निर्दिष्ट मात्रा के लिए होना चाहिए और डिजिटल प्रवाह मीटर के साथ इसकी निगरानी की जानी चाहिए और हर साल इसका तीसरे पक्ष द्वारा ऑडिट किया जाना चाहिए.
  • उन लोगों के खिलाफ मुकदमा और ब्लैकलिस्टिंग सहित सख्त कार्रवाई होनी चाहिए जो ऑडिट में विफल हो जायें.
  • नए नियमों के अनुसार, अधिकारियों को तीन महीने का समय दिया जाता है ताकि वे अति-दोहन, अर्ध-महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए जल प्रबंधन योजना बना सकें.
  • लगभग 8,00,000 कंपनियां ऐसे क्षेत्रों में स्थित हैं, जो भारत की सभी 3,881 भूजल मूल्यांकन इकाइयों के एक-तिहाई क्षेत्रों के तहत आते हैं.
इन नई शर्तों से वाणिज्यिक इकाइयों की मुश्किलें बढ़ीं 
 
  • कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, हरित ट्रिब्यूनल द्वारा जारी किए गए निर्देशों ने व्यवसायों पर कठोर अनिवार्यताएं ऐसे समय डाल दी हैं, जब वे कोविड-19 के दौरान अपना रास्ता खोजने की कोशिश कर रहे हैं.
  • ये सभी प्रतिबंध भूजल हासिल करने की प्रक्रिया को बहुत मुश्किल बनाते हैं.
  • NGT का यह कदम जल शक्ति मंत्रालय के विधायी कार्यों में भी हस्तक्षेप कर रहा है.
  • इससे पहले, हरित ट्रिब्यूनल ने केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) की याचिका के मुताबिक यह भी नहीं पाया कि, भूजल के उपयोग पर प्रतिबंध से रोजगार के अवसरों,
  • औद्योगिक उत्पादन और कुछ राज्यों की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा.
  • उद्योग के कार्यकारी अधिकारी के अनुसार, भूजल का उपयोग करने के लिए परमिट देने की नीति में ख़ामियां उद्योग के लिए कठिनाई पैदा कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप आजीविका और नौकरियों का नुकसान होने के साथ विभिन्न उद्योग बंद हुए है.
  • एक आधिकारिक अनुमान के अनुसार, भूजल निकासी का 89% किसानों द्वारा किया जा रहा है और केवल 5% उद्योग द्वारा है, जबकि शेष घरेलू उपयोग के लिए है.