लोकसभा ने 15 जुलाई 2019 को ‘राष्ट्रीय अन्वेषण अधिकरण संशोधन विधेयक 2019’ को मंजूरी दे दी है. विधेयक पर हुई चर्चा का निचले सदन में जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि आज जब देश दुनिया को आतंकवाद के खतरे से निपटना है, ऐसे में एनआईए संशोधन विधेयक का उद्देश्य जांच एजेंसी को राष्ट्रहित में मजबूत बनाना है.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भारत से बाहर किसी अनुसूचित अपराध के संबंध में मामले का पंजीकरण करने और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है. अब इस बिल को राज्यसभा में लाया जाएगा जहां इसको पास करना सरकार के सामने बड़ी चुनौती होगी. आतंकवाद आज अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय समस्या बन गयी है.
प्रस्ताव के पक्ष में 278 वोट पड़े जबकि इसके विरुद्ध केवल 06 वोट पड़े है. विधेयक पर लाए गए सभी संशोधन प्रस्तावों को मंजूर कर दिया गया. |
गृहमंत्री अमित शाह द्वारा एनआईए बिल पर
गृहमंत्री अमित शाह ने 15 जुलाई 2019 को लोकसभा में एनआईए बिल पेश करने के लिए अपनी बात रखी. उन्होंने कहा की पोटा कानून को वोट बैंक से बचाने के लिए भंग किया गया था. पोटा से देश को आतंकवाद से बचाया जाता था, इससे आतंकवादियों के अंदर भय था, देश की सीमाओं की रक्षा होती थी. इस कानून को साल 2004 में आते ही भंग कर दिया गया था. अमित शाह ने कहा की पोटा को भंग करना उचित नहीं था. इससे आतंकवाद इतना बढ़ा कि स्थिति काबू में नहीं रही और एनआईए को लाने का फैसला किया गया था.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के बारे में:
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) भारत में आतंकवाद का मुकाबला करने हेतु भारत सरकार द्वारा स्थापित एक संघीय जाँच एजेंसी है. यह एजेंसी केन्द्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करती है. यह एजेंसी राज्यों से विशेष अनुमति के बिना राज्यों में आतंक संबंधी अपराधों से निपटने हेतु सशक्त है. यह एजेंसी 31 दिसम्बर 2008 को भारत की संसद द्वारा पारित अधिनियम राष्ट्रीय जाँच एजेंसी विधेयक 2008 के लागू होने के साथ अस्तित्व में आई थी.
विधेयक के बारे में:
• यह विधेयक मौजूदा संशोधन के बाद गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून की अनुसूची चार में संशोधन से एनआईए उस व्यक्ति को आतंकवादी घोषित कर पाएगी जिसके आतंक से संबंध होने का शक हो.
• साल 2008 में हुए 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के बाद एनआईए का गठन किया गया था.
• संशोधन एनआईए को साइबर अपराध और मानव तस्करी के मामलों की जांच करने की भी इजाजत देगा.
• विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण संशोधन विधेयक 2019 उपबंध करता है. यह अधिनियम धारा 1 की उपधारा 2 में नया खंड ऐसे लोगों पर अधिनियम के उपबंध लागू करने के लिए है, जो भारत के बाहर भारतीय नागरिकों के विरुद्ध या भारत के हितों को प्रभावित करने वाला कोई अनुसूचित अपराध करते हैं.
• अधिनियम की धारा 3 की उपधारा 2 का संशोधन करके एनआईए के अधिकारियों की वैसी शक्तियां, कर्तव्य, विशेषाधिकार और दायित्व प्रदान करने की बात कही गई है. ये शक्तियां अपराधों के अन्वेषण के संबंध में पुलिस अधिकारियों द्वारा न केवल भारत में बल्कि भारत के बाहर भी प्रयोग की जाती रही है.
• बिल में कहा गया है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अधिनियम के अधीन अपराधों के विचारण के उद्देश्य से एक या अधिक सत्र अदालत, या विशेष अदालत स्थापित करें.