असम में अफ्रीकी स्वाइन फीवर का प्रकोप

What is African Swine Fever, now spreading in Assam after causing ...

देश में कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के बीच अफ्रीकी स्वाइन फीवर का पहला मामला असम में सामने आया है. असम सरकार ने 03 मई 2020 को कहा कि राज्य में अफ्रीकी स्वाइन फीवर का पहला मामला पाया गया है और इससे 306 गांवों में 2,500 से अधिक सूअरों की मौत हो गई है.

असम के पशुपालन और पशु चिकित्सा मंत्री अतुल बोरा ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार केंद्र से मंजूरी होने के बाद भी तुरंत सूअरों को मारने के बजाय इस घातक संक्रामक बीमारी को फैलने से रोकने के लिए कोई अन्य रास्ता अपनाएगी.उन्होंने यह भी बताया कि इस बीमारी का कोविड-19 से कोई लेना-देना नहीं है.

पशु चिकित्सा मंत्री ने क्या कहा
 

असम के पशुपालन और पशु चिकित्सा मंत्री अतुल बोरा ने कहा कि राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल ने इस बात की पुष्टि की है कि यह अफ्रीकी स्वाइन फीवर है. मंत्री अतुल बोरा ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा की गई साल 2019 की जनगणना के अनुसार असम में सूअरों की संख्या 21 लाख थी, लेकिन अब यह बढ़ कर लगभग 30 लाख हो गई है. गौरतलब है कि अफ्रीकी स्वाइन फीवर का पहला मामला साल 1921 में केन्या और इथियोपिया में सामने आया था.

विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों के अनुसार, यह आसानी से इंसानों तक भी पहुंच सकता है. चीन में यह प्रकोप पहले से ही चल रहा है, जिस कारण वहां के लगभग 40 प्रतिशत सूअरों का सफाया हो चुका है. शुरुआत में खुले घूम रहे सूअर ही इसकी चपेट में आए, लेकिन बाद में यह फॉर्म तक पहुंच गई. ये वायरस इतना खतरनाक है कि इससे संक्रमित सूअरों की मृत्युदर 100 प्रतिशत है.

 

असम में अफ्रीकी स्वाइन फीवर के कारण स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है क्योंकि असम में किसानों द्वारा सूअरों का पालन किया जाता है. इस क्षेत्र के किसानों के पास बीस लाख से अधिक सूअर हैं. केंद्र सरकार ने असम राज्य सरकार को ‘अफ्रीकी स्वाइन फीवर’ से प्रभावित सूअरों का इलाज करने की सलाह दी है.

अफ्रीकी स्वाइन फीवर के बारे में

अफ्रीकी स्वाइन फीवर (ASF) घरेलू और जंगली सूअरों में होने वाली एक अत्यधिक संक्रामक रक्तस्रावी वायरल बीमारी है. यह एसफेरविरिडे परिवार के डीएनए (DNA) वायरस के कारण होता है. हालाँकि अफ्रीकी स्वाइन फीवर और क्लासिकल स्वाइन फीवर (CSF) के लक्षण समान हो सकते हैं लेकिन अफ्रीकी स्वाइन फीवर तथा क्लासिकल स्वाइन फीवर के वायरस बिल्कुल भिन्न प्रकार के तथा दूसरे से असंबंधित है. अफ्रीकी स्वाइन फीवर मानव स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करता है क्योंकि इसका मानव में इसका प्रसार नहीं होता है.

 

अफ्रीकी स्वाइन फीवर के लक्षण तथा मृत्यु दर वायरस की क्षमता तथा सुअर की प्रजातियों के अनुसार भिन्न हो सकती हैं. अफ्रीकी स्वाइन फीवर के लक्षणों में उच्च बुखार का आना, अवसाद, भूख में कमी होना, त्वचा में रक्तस्राव होना आदि है.