असम कैबिनेट ने 21 अक्टूबर 2019 को फैसला किया कि 01 जनवरी 2021 के बाद दो से अधिक बच्चे वाले व्यक्तियों को कोई सरकारी नौकरी नहीं दी जायेगी. यह निर्णय असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया.
मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के जनसंपर्क प्रकोष्ठ द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि छोटे परिवार के मानक के मुताबिक 01 जनवरी 2021 से दो से अधिक बच्चे वालों को सरकारी नौकरी नहीं दी जायेगी. कैबिनेट की बैठक में नई ‘भूमि’ नीति को भी मंजूरी दी गई जिससे भूमिहीन लोगों को तीन बीघा कृषि भूमि तथा एक मकान बनाने हेतु आधा बीघा जमीन मिलेगी.
असम में बच्चों की संख्या और सरकारी नौकरी
नई नीति के मुताबिक, यह शर्त केवल किसी को सरकारी नौकरी देते समय ही ध्यान में नहीं रखा जायेगा, बल्कि नौकरी के अंत तक सभी को इस नीति के हिसाब से यह ध्यान रखना होगा कि उनके बच्चों की संख्या दो से अधिक ना हो. यदि बच्चों की संख्या दो से अधिक हुआ तो सरकारी नौकरी से उस व्यक्ति को निकाला भी जा सकता है.
नई नीति के मुताबिक, यदि असम में बच्चों की संख्या दो से अधिक है, तो वे सरकारी योजनाओं जैसे ट्रैक्टर ऋण, आवास मुहैया कराने तथा अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले पाएंगे. इसके अतिरिक्त राज्य निर्वाचन आयोग के तहत होने वाले पंचायत, स्वायत्त परिषद और नगक निकाय चुनावों हेतु उम्मीदवारी पेश करने के भी योग्य नहीं होंगे.
असम सरकार की ओर से लड़कियों को विश्वविद्यालय स्तर तक की शिक्षा मुफ्त मुहैया कराने का सुझाव दिया गया है. इस सुझाव से बेटी बचाओ, बेटी पढाओ अभियान को भी बढ़ावा मिलेगा. असम सरकार स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने हेतु फीस, परिवहन, छात्रावास में भोजन तथा किताबों जैसी सुविधाएं मुफ्त देना चाहती हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग अपने बच्चों को स्कूल भेज सके. इससे राज्य में शिक्षा का स्तर भी बढ़ेगा.
जनसंख्या और महिला सशक्तिकरण पॉलिसी
असम विधानसभा ने सितंबर 2017 में ‘जनसंख्या और महिला सशक्तिकरण नीति’ को पारित किया था. इस नीति के मुताबिक केवल दो बच्चों वाले उम्मीदवार ही सरकारी नौकरी हेतु योग्य हैं जबकि मौजूदा सरकारी कर्मचारी दो बच्चों के परिवार के नियम का पालन करेंगे.