पीटर्सबर्ग जलवायु संवाद- 11वां

India attends 11th session of Petersberg Climate Dialogue

भारत सहित 30 देशों के प्रतिनिधियों ने गत 28 अप्रैल 2020 को पीटर्सबर्ग जलवायु संवाद (क्लाइमेट डायलॉग) के 11 वें सत्र में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हिस्सा लिया. कोविड -19 के बाद समाजिक और अर्थव्यवस्थाओं के विभिन्न मामलों से निपटने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए पीटर्सबर्ग जलवायु संवाद के 11 वें सत्र का आयोजन किया गया था.

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री, प्रकाश जावड़ेकर ने पीटर्सबर्ग जलवायु संवाद में भाग लिया और जलवायु तकनीक के बारे में चर्चा की और कहा कि यह कम कीमत पर उपलब्ध होनी चाहिए. पीटर्सबर्ग जलवायु संवाद के 11 वें सत्र की मेजबानी जर्मनी ने की और यूनाइटेड किंगडम (यूके) ने सह-मेजबानी की थी.

11 वें सत्र के पीटर्सबर्ग जलवायु संवाद: प्रमुख विशेषताएं 
 
  • महासचिव एंटोनी गुटेरेस ने अपनी टिप्पणी में कोविड -19 के कारण लोगों की पीड़ा और वैश्विक अर्थव्यवस्था की अस्थिरता के बारे में बात की.
  • उन्होंने उन उपायों पर बल देने के बारे में बात की जो वैश्विक तापमान वृद्धि को रोक सकेंगे.
  • महासचिव ने दुनिया भर के देशों से 2050 तक कार्बन तटस्थता (न्यूट्रेलिटी) के लिए प्रतिबद्ध होने के लिए कहा.
  • उन देशों को सहायता मिलनी चाहिए जो इस जलवायु परिवर्तन के लिए कम से कम जिम्मेदार हैं लेकिन इसके प्रभावों को झेल रहे हैं.
  • विकासशील देशों द्वारा अपनी आबादी को जलवायु परिवर्तन के हानिकारक प्रभावों से बचाने में उनकी मदद करने के लिए वित्तपोषण की आवश्यकता है. यह विकासशील देशों में अनुकूलन प्रयासों के लिए 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष जुटाने के वादे के साथ शुरू हुआ.
  • महासचिव ने तीव्र जलवायु विकास के लिए छह जलवायु-संबंधी कार्यों का प्रस्ताव पेश किया.
  • सभी देशों को एक साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित किया गया. उन्होंने स्थायी विकास की कार्रवाई के लिए सामान्य रूपरेखा अर्थात ‘वर्ष 2030 एजेंडा’ और जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते का भी उल्लेख किया.
  • उन्होंने सभी देशों को वर्ष 2050 तक केवल शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने के लिए रणनीतियां तैयार करने के लिए कहा.
  • वैश्विक उत्सर्जन में जी 20 देशों के योगदान के लिए उनका भी उल्लेख किया गया. महासचिव ने वर्ष 2050 तक कार्बन तटस्थता के लिए उनकी प्रतिबद्धता के लिए अनुरोध किया.

स्वच्छ जलवायु के लिए महासचिव के छह जलवायु संबंधी कार्य:

  • पहला, कोविड -19 से निपटने के लिए खरबों डॉलर का खर्च करना होगा. उन्होंने स्वच्छ, हरे और समुचित बदलाव के माध्यम से नई नौकरियों और व्यवसायों की व्यवस्था करने के बारे में भी बात की.
  • दूसरा, करदाताओं के पैसे का उपयोग हरित रोजगार और स्थायी विकास के लिए किया जाना चाहिए.
  • तीसरा, राजकोषीय मारक क्षमता होगी जो अर्थव्यवस्था को धूसर से हरे रंग में बदलती है और लोगों और समाज को इस बदलाव के बारे में अधिक जागरूक बनाया जाएगा जो सभी के लिए कल्याणकारी होगा.
  • चौथा, सार्वजनिक धन का स्थायी क्षेत्रों और परियोजनाओं में निवेश किया जाना चाहिए जिससे जलवायु और पर्यावरण के विकास में मदद मिलेगी.
  • पांचवां, वैश्विक वित्तीय प्रणाली के बारे में होगा जिसमें जलवायु से संबंधित जोखिम और अवसरों के बारे में विचार किया जाना चाहिए.
  • छठा, आपात स्थिति के समाधान के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समुदाय के तौर पर सभी देशों को एक साथ काम करना होगा.

11 वें पीटर्सबर्ग जलवायु संवाद में भारत:

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने स्थायी खपत पैटर्न को अपनाने के बारे में बात करने के साथ यह भी कहा कि भारत पेरिस समझौते के तापमान लक्ष्य के अनुरूप नीतियां लागू कर रहा है. केंद्रीय मंत्री ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के तीव्र प्रसार और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में नई हरित नौकरियां निर्मित करने के अवसर पर भी प्रकाश डाला.