केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 19 सितम्बर 2019 को बेंगलुरु में स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस में सफल उड़ान भरी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तेजस में उड़ान भरकर एक नया इतिहास रच दिया है. वे तेजस में उड़ान भरने वाले देश के पहले रक्षा मंत्री बन गये हैं.
तेजस विमान को तीन साल पहले ही भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बेंगलुरु के एचएएल एयरपोर्ट से उड़ान भरी. पूर्व रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इससे पहले लड़ाकू विमान सुखोई में उड़ान भरी थी. सुखोई दो इंजन वाला लड़ाकू विमान है वहीं तेजस एक इंजन वाला लड़ाकू विमान है.
तेजस का हाल ही में ‘अरेस्ट लैंडिंग’ टेस्ट की गई थी
तेजस देश में बना पहला ऐसा विमान बन गया है, जिसने ‘अरेस्ट लैंडिंग’ करने में सफलता हासिल की है. इस लैंडिंग के समय नीचे से लगे तारों की सहायता से विमान की चाल कम कर दी जाती है. तेजस ने इस तरह से विमान वाहक पोत पर उतरकर इतिहास रच दिया. अभी तक केवल अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस तथा हाल में चीन में बने एयरक्राफ्ट ही इस लैंडिंग को अंजाम दे सके हैं. इस सूची में अब भारत भी शामिल हो गया है.
क्रमांक | महत्वपूर्ण तथ्य |
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1 | भारत द्वारा विकसित किया जा रहा तेजस एक हल्का लड़ाकू विमान है. भारतीय वायुसेना ‘तेजस’ विमानों की एक खेप अपने बेड़े में शामिल कर चुकी है. |
2 | तेजस विमान को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड तथा एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है. |
3 | इस विमान की कल्पना साल 1983 में की गई थी. हालांकि इस परियोजना को दस साल बाद साल 1993 में मंजूरी मिला था. |
4 | तेजस विमान ना केवल लगातार हमले करने में सक्षम है बल्कि यह सही निशाने पर हथियार गिराने की भी बखूबी क्षमता रखता है. |
5 | तेजस विश्व का सबसे छोटा और हल्का लड़ाकू विमान हैं. इसकी चाल 2000 किलोमीटर से ज्यादा है. यह विमान 5000 फीट से भी ज्यादा की ऊंचाई पर उड़ सकता है. |
6 | यह विमान हवा में ईंधन भरने, इलेक्ट्रॉनिक युद्धक सुइट, कई विभिन्न प्रकार के बम, मिसाइल तथा हथियारों जैसी तकनीकों से लैस है. |
7 | तेजस को हल्का विमान इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका ढांचा कार्बन फाइबर से बना हुआ है. |
8 | इस विमान का कुल वजन करीब 6,560 किलोग्राम है. इसके पंख 8.2 मीटर चौड़े हैं. तेजस विमान कुल 13.2 मीटर लंबा और 4.4 मीटर ऊंचा है. |
9 | इस विमान को उड़ान भरने हेतु आधे किलोमीटर से भी कम जगह की जरूरत पड़ती है. यह विमान रखरखाव तथा तैयारी के लिहाज से काफी सस्ता और उपयोगी है. |