मशहूर चित्रकार और लेखक सतीश गुजराल का निधन

Satish Gujral, Versatile Indian Artist, Is Dead at 94 - The New ...

भारत के मशहूर चित्रकार और लेखक सतीश गुजराल का 26 मार्च 2020 को निधन हो गया है. वे 94 वर्ष के थे. वेअपनी पेंटिंग्स के लिए जाने जाते थे. वे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के छोटे भाई थे. सतीश गुजराल की कलाकृतियों में उनके शुरुआती जीवन के उतार-चढ़ाव की झलक देखने को मिलती है.

सतीश गुजराल वास्तुकार, चित्रकार, भित्तिचित्र कलाकार और ग्राफिक कलाकार थे. उनके प्रमुख कामों में दिल्ली उच्च न्यायालय के बाहर की दीवार पर अल्फाबेट भित्तिचित्र शामिल हैं. उन्होंने दिल्ली में बेल्जियम दूतावास को भी डिजाइन किया था.

आठ साल की उम्र में हुआ हादसा

सतीश गुजराल का बचपन में स्वास्थ्य काफ़ी अच्छा था. आठ साल की उम्र में पैर फिसलने के कारण इनकी टांगे टूट गई और सिर में काफी चोट आने के कारण इन्हें कम सुनाई पड़ने लगा. परिणाम स्वरूप सतीश गुजराल को लोग लंगड़ा, बहरा और गूंगा समझने लगे. सतीश गुजराल चाहकर भी आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए. वे ख़ाली समय बिताने के लिए चित्र बनाने लगे. इनकी भावना प्रधान चित्र देखते ही बनती थी. इनके अक्षर एवं रेखाचित्र दोनों ही ख़ूबसूरत थी.

पुरस्कार एवं सम्मान

सतीश गुजराल का कला के क्षेत्र में अमुल्य योगदान के देने के लिए कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है. यही नहीं उन्हें भारत सरकार द्वारा साल 1999 में पद्म विभूषण भी प्रदान किया जा चुका है. सतीश गुजराल को कला के क्षेत्र में तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला. सतीश गुजराल ने कई पुरस्कार जीते. इनमें  मेक्सिको का ‘लियो नार्डो द विंसी’ और बेल्जियम के राजा का ‘आर्डर आफ क्राउन’ पुरस्कार शामिल हैं.

सतीश गुजराल के बारे में

  • सतीश गुजराल का जन्म 25 दिसम्बर 1925 को ब्रिटिश इंडिया के झेलम (अब पाकिस्तान) में हुआ था.
  • उन्होंने लाहौर स्थित मेयो स्कूल ऑफ आर्ट में पाँच वर्षों तक अन्य विषयों के साथ-साथ मृत्तिका शिल्प और ग्राफिक डिज़ायनिंग का अध्ययन किया.
  • वे साल 1944 में बॉम्बे चले गए जहाँ उन्होंने प्रसिद्ध सर जे जे स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला लिया पर बीमारी के कारण साल 1947 में उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी.
  • सतीश गुजराल ने अपनी जिंदगी में कठिन संघर्षों के बाद भी कभी हार नहीं मानी. उन्होंने इतिहास, लोककथा, पुराण, प्राचीन भारतीय संस्कृति और विविध धर्मों के प्रसंगों को अपने चित्रों में उकेरा है.
  • उनके चित्रों में आकृतियाँ प्रधान हैं. पशु और पक्षियों को उनकी कला में सहज स्थान मिला. गुजराल बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे.