सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में देशभर के सिनेमा हॉल को बाल यौन शोषण और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों की रोकथाम वाले वीडियो दिखाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय को उपयुक्त वीडियो की जांच सुनिश्चित करने को कहा है. कोर्ट के अनुसार, टीवी चैनलों को भी ये वीडियो चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर के साथ दिखाने होंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा की वीडियो क्लिप में तथा अन्य महत्वपूर्ण जगहों पर स्कूलों में चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर प्रदर्शित किया जाए. कोर्ट ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से सिनेमा घर मे बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने हेतु जागरुकता वीडियो क्लिप दिखाए जाने का आदेश लागू करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 26 सितम्बर 2019 को होगी. कोर्ट ने कहा है कि इस वीडियो क्लिप में बच्चों के यौन शोषण के खिलाफ बने कानून, मुकदमा दर्ज कराने की क़ानूनी कार्यवाही तथा विशेष कोर्ट जैसी बातों की जानकारी लोगों को दी जाए.
विशेष पॉक्सो कोर्ट |
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिन जिलों मे बाल यौन उत्पीड़न के मामले 100 से ज्यादा है, वहां 60 दिनों के भीतर विशेष पॉक्सो (POCSO) कोर्ट बनाए जाएं. विशेष पॉक्सो कोर्ट के गठन का खर्चा पूरी तरह से केंद्र सरकार उठाएगी. ये अदालतें केवल बच्चों के साथ यौन अपराध के मामलों की सुनवाई करेंगी. |
सुप्रीम कोर्ट ने खुद ही संज्ञान लिया
सुप्रीम कोर्ट बच्चों से दुष्कर्म और यौन शोषण की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए खुद ही संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने मुद्दे पर सुझाव देने हेतु वरिष्ठ वकील वी. गिरी को न्यायमित्र नियुक्त किया था. कोर्ट ने इसके बाद सभी राज्यों एवं उच्च न्यायालयों से बच्चों से दुष्कर्म के मामलों के आंकड़े मंगाए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों से संबंधित ऐसे मामलों से निपटने हेतु ढांचागत संसाधन जुटाने और अन्य उपाय करने के लिए दिशा-निर्देश तय करने का मन बनाया है. आंकड़ों के अनुसार 01 जनवरी से 30 जून 2019 तक देश में बच्चों से दुष्कर्म की कुल 24,212 घटनाएं हुईं, जिनमें एफआइआर (First Information Report) दर्ज है.
सबसे ज़्यादा पॉक्सो केस लंबित
उत्तर प्रदेश (यूपी) में सबसे ज़्यादा 44,376 पॉक्सो केस लंबित है. मुकदमे के दौरान आरोप साबित होने को लेकर भी स्थिति बहुत ही खराब है. ओडिशा में तो महज 12 प्रतिशत मामलों में ही दोष साबित हो सका है.
पॉक्सो कानून क्या है?
महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा पोक्सो (POCSO) एक्ट-2012 को बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न एवं अन्य अपराधों को रोकने के लिए बनाया गया था. साल 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है. इस अधिनियम (एक्ट) के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है. यह अधिनियम बच्चों को गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है. यह कानून चाहे लड़का हो या लड़की दोनों को ही समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है. इस अधिनियम के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार या छेड़छाड़ आता है.