भारत का सर्वाधिक उन्नत इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम को ग्रैंड कॉर्ड मार्ग या रूट पर लगाया गया है. भारतीय रेलवे को विभिन्न ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने तथा दिल्ली और हावड़ा के बीच सफर में लगने वाले समय को मौजूदा 17-19 घंटे से कम करके करीब 12 घंटे ही कर देने की उम्मीद है.
भारतीय रेलवे ने यह उपलब्धि उत्तर प्रदेश के टुंडला स्टेशन पर लगी अप्रचलित 65 साल पुरानी यांत्रिक सिग्नलिंग प्रणाली के जगह पर सर्वाधिक उन्नत एवं सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम को लगाने से ही संभव हो पाई है. यह 17 नवंबर 2019 से पूरी तरह कार्यात्मक हो जायेगा.
फायदा
- केन्द्रीकृत पावर केबिन के जरिए ट्रेन संचालन समय मौजूदा 05-07 मिनट से घटकर 30-60 सेकेंड हो जायेगी.
- टुंडला जंक्शन की ट्रेन संचालन क्षमता मौजूदा अधिकतम 200 ट्रेनों से बढ़कर 250 ट्रेनें प्रतिदिन हो गई हैं.
- टुंडला के बाहर रेलगाडि़यों को अपेक्षाकृत कम समय के लिए ही रुकना पड़ेगा और इसके साथ ही ट्रेनों की समयबद्धता बेहतर हो जायेगी.
- उत्तर प्रदेश की दिशा वाली सभी यार्ड लाइनें अब यात्री ट्रेनों की आवाजाही हेतु पूरी तरह से उपयुक्त हो गई हैं जिससे और भी अधिक कोचिंग ट्रेनों का सुव्यवस्थित संचालन संभव हो गया है.
- यार्ड लाइनों की लंबाई बढ़ गई है जिससे अपेक्षाकृत अधिक लंबी यात्री रेलगाड़ियों एवं माल ढुलाई ट्रेनों का संचालन संभव हो गया है.
- दुर्घटनाओं इत्यादि के दौरान दोनों ही तरफ से तत्काल आवाजाही हेतु चिकित्सा राहत ट्रेन (एआरएमई) को दोहरी निकासी वाली सुविधा दी गई है.
ग्रैंड कॉर्ड रूट के बारे में
- ग्रैंड कॉर्ड वास्तव में हावड़ा-गया-दिल्ली लाइन और हावड़ा-इलाहाबाद-मुम्बई लाइन का एक हिस्सा है.
- यह सीतारामपुर (पश्चिम बंगाल) और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन, उत्तर प्रदेश के मध्य एक संपर्क या कनेक्टिविटी के रूप में काम आता है.
- यह भारतीय रेलवे के उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) जोन में आने वाले 450 किलोमीटर लंबे खंड को कवर करता है.
- यह इस नई दिल्ली-हावड़ा रूट के 53 फीसदी हिस्से को बरकरार रखने के साथ-साथ संचालित करता है.