सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल का अंडमान निकोबार द्वीप समूह के त्राक द्वीप पर एक गतिशील मंच से सफल परीक्षण किया है

भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस मिसाइल ...

भारतीय वायुसेना ने हाल ही में सतह से सतह पर मार करने वाली दो ब्रह्मोस मिसाइलों का अंडमान निकोबार द्वीप समूह में सफल परीक्षण किया. भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस मिसाइल का अंडमान निकोबार द्वीप समूह के ट्राक द्वीप पर एक गतिशील मंच से सफल परीक्षण किया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, 21 अक्टूबर और 22 अक्टूबर 2019 को अंडमान निकोबार द्वीप समूह के ट्राक द्वीप पर भारतीय वायु सेना द्वारा दो ब्रह्मोस मिसाइलें दागी गई थीं. इन मिसाइलों ने रूटीन ऑपरेशनल ट्रेनिंग हेतु फायर की गईं अपने लक्ष्य को एकदम सटीक तौर पर ध्वस्त किया.

ब्रह्मोस मिसाइलों ने तीन सौ किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्य पर एकदम सटीक निशाना लगाया तथा उसे ध्वस्त कर दिया. इस परीक्षण-फायरिंग का मुख्य लक्ष्य भारतीय वायुसेना (आईएएफ) की क्षमता को लक्षित करने की क्षमता की जांच करना है.
 

आईएएफ द्वारा किया गया ट्वीट

आईएएफ ने ट्वीट कर कहा कि मिसाइल ने 300 किलोमीटर दूर एक निर्धारित छद्म लक्ष्य को भेदा. उन्होंने कहा की दोनों ही मामलों में लक्ष्य को सीधे भेद दिया गया. मिसाइल की फायरिंग से भारतीय वायुसेना की गतिशील मंच से बिल्कुल सटीकता से जमीन पर लक्ष्य को भेदने की क्षमता में वृद्धि हुई है.

2.5 टन वजनी इन मिसाइलों का लक्ष्य करीब 300 किलोमीटर दूर था. दोनों ही मिसाइलों ने अपने लक्ष्य को सीधे-सीधे भेदने में सफल रहा. मिसाइल की फायरिंग से वायुसेना की गतिशील मंच से बिल्कुल सटीकता से जमीन पर लक्ष्य को भेदने की क्षमता में वृद्धि हुई है.

 

ब्रह्मोस मध्यम दूरी की एक ऐसी सुपरसोनिक मिसाइल है. इसे किसी एयरक्राफ्ट, शिप या छोटे प्लेटफॉर्म से भी दागा जा सकता है. भारत और रूस का संयुक्त उपक्रम ब्रह्मोस एयरोस्पेस इस मिसाइल का उत्पादन करता है. ब्रह्मोस भारत तथा रूस के द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है. इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है.

ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है. रूस इस परियोजना में प्रक्षेपास्त्र तकनीक उपलब्ध करवा रहा है. इस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है. यह मिसाइल 300 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री अपने साथ ले जा सकता है. मिसाइल की गति ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना अधिक है.