केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने वनीकरण परियोजनाओं के लिए विभिन्न राज्यों को 47,436 करोड़ रुपये का सीएएमपीए फंड जारी किया है. वनों के लिए राज्य का बजट अप्रभावित रहेगा तथा हस्तांतरित की जा रही धनराशि राज्य के बजट के अतिरिक्त होगी. यह राशि केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर द्वारा सौंपी गई थी.
इस धनराशि का उपयोग सभी राज्य वन और वृक्षों का आवरण बढ़ाने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए वानिकी कार्यकलापों में करेंगे. इससे साल 2030 तक 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के समान अतिरिक्त कार्बन कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण होगा.
पर्यावरण मंत्री ने कहा की जिन महत्वपूर्ण गतिविधियों पर इस धन का उपयोग किया जाएगा उनमें – क्षतिपूरक वनीकरण, सहायता प्राप्त प्राकृतिक सम्पोषण, जलग्रहण क्षेत्र का उपचार, वन्यजीव प्रबंधन, वनों में लगने वाली आग की रोकथाम, वन में मृदा एवं आद्रता संरक्षण कार्य, वन्य जीव पर्यावास में सुधार तथा सीएएमपीए कार्यों की निगरानी आदि शामिल हैं.
पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस बात पर भी जोर दिया कि सीएएमपीए कोष का उपयोग वेतन के भुगतान, चिकित्सा व्यय, यात्रा भत्ते आदि के लिए नहीं किया जा सकता है.
सीएएमपीए क्या है: पृष्ठभूमि
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2001 में क्षतिपूरक वनीकरण कोष एवं क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबन्धन एवं योजना प्राधिकरण (सीएएमपीए) की स्थापना का आदेश दिया था. यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुष्टि की गई थी कि हेतु एकत्र की गई धनराशि राज्यों द्वारा हटा दी गई थी.
क्षतिपूरक वनीकरण कोष के प्रबन्धन के लिए खास सीएएमपीए की स्थापना की गई. कोर्ट ने साल 2009 में राज्यों/संघशासित प्रदेशों को क्षतिपूरक वनीकरण और अन्य गतिविधियों के लिए प्रति साल 1000 करोड़ रुपए की राशि जारी करने की अनुमति दी थी.
सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी से साल 2019 को खास सीएएमपीए से 54,685 करोड़ रुपए की राशि केंद्र सरकार के नियंत्रण में लाई गई. अब तक कुल 27 राज्य/संघशासित प्रदेश केंद्र सरकार से धनराशि प्राप्त करने हेतु अपने खाते खुलवा चुके हैं. इस राशि का उपयोग सीएएफ अधिनियम एवं सीएएफ नियमों के प्रावधानों के अनुसार किया जाएगा.