संयुक्त राष्ट्र ने मणिपुर राज्य की खुडोल पहल की सराहना की

United Nations - Wikipedia

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के दूत ने युवाओं के लिए शीर्ष 10 वैश्विक पहलों में मणिपुर की पहल का उल्लेख किया है. संयुक्त राष्ट्र ने मौजूदा कोविड -19 पहल के खिलाफ समावेशी लड़ाई के लिए खुडोल की सराहना की है.

या ऑल, एक इम्फाल आधारित NGO ने खुडोल की शुरुआत की थी जोकि एक जनता से प्राप्त धन पर आधारित एक पहल है. यह LGBTQI + समुदाय, दैनिक वेतन भोगियों, एचआईवी पीड़ितों, किशोरों और बच्चों के लिए स्वास्थ्य, स्वच्छता और भोजन सुनिश्चित करता है. इस NGO ने भारत की पहली ट्रांसजेंडर फुटबॉल टीम भी तैयार की है.

खुडोल जैसी पहल यह संकेत देती है कि कोविड -19 लॉकडाउन के बीच किसी अन्य राज्य की तुलना में मणिपुर ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अधिक अनुकूल है.

मुख्य विशेषताएं:
 
  • युवाओं के लिए संयुक्त राष्ट्र के दूत, श्रीलंका के जयथमा विक्रमनायके के अनुसार, 100 स्वयंसेवकों के नेटवर्क के साथ इस पहले के तहत, लगभग 2000 परिवारों और व्यक्तियों को 1000 से अधिक स्वास्थ्य किट, 1500 कंडोम और 65,000 सैनिटरी पैड प्रदान किये गये हैं.
  • युवाओं के लिए संयुक्त राष्ट्र के दूत ने वर्ष 2017 में स्थापित या ऑल NGO के काम को भी अपनी स्वीकृति दी है. इस NGO ने मानसिक स्वास्थ्य कार्यशालाओं के आयोजन के साथ-साथ मीट्राम के लिए भी सराहना प्राप्त की है जोकि पहली ऐसी को-वर्किंग और नेटवर्किंग है जिसका स्वामित्व और संचालन भारत में क्वीर इंडिविजुअल्स करते हैं.
  • या ऑल के संस्थापक, सदाम हंजबम ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के विंग से मिली यह स्वीकृति उन्हें  अधिक समावेशिता की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगी. सदाम हंजबम ने यह भी उल्लेख किया कि वे पिछले 50 दिनों से कमजोर वर्गों तक ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से अपनी पहुंच बना रहे हैं.

खुडोल पहल क्यों जरूरी है?

  • मणिपुर उन कुछ राज्यों में से एक है जो मौजूदा कोविड – 19 लॉकडाउन के बीच ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए भी व्यवस्था कर रहे हैं और इस राज्य ने यह भी सुनिश्चित किया है कि उन्हें पुरुषों के लिए बने क्वारंटाइन सेंटर्स में नहीं रखा जाए.
  • या ऑल के संस्थापक के अनुसार, सभी अभावग्रस्त युवाओं को अपनी आजीविका कमाने के लिए बड़े शहरों में जाना ही पड़ता है क्योंकि राज्य में समावेशी विकल्पों का अभाव है. मौजूदा कोविड -19 संकट ने अभावग्रस्त युवाओं की कठिनाइयों को बढ़ा दिया है.
  • समावेशी सुरक्षित स्थान का मॉडल या ऑल NGO द्वारा बनाया गया था, जिसके तहत इंफाल पश्चिम जिला प्रशासन और स्थानीय थांगमीबांड यूनाइटेड क्लब के साथ मिलकर डीएम कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन में बने क्वारंटाइन सेंटर में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए अलग कमरे और अलग शौचालयों की व्यवस्था करने के साथ ही दिव्यांग व्यक्तियों के लिए के एकअलग रैंप भी उपलब्ध करवाए गये.
  • राज्य के समाज कल्याण विभाग ने विशेष रूप से ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए भी इस 21 मई को दो समर्पित संगरोध केंद्र (क्वारंटाइन सेंटर्स) खोले.
  • मुख्यमंत्री, नोंगथोम्बम बीरेन सिंह ने यह भी कहा है कि  ये केंद्र ऐसे ट्रांसजेंडर लोगों के लिए भी व्यवस्था करने के लिए तैयार हैं, जो बाहर फंसे हुए हैं.
  • मौजूदा महामारी के दौरान ट्रांसजेंडरों की भावनात्मक सुरक्षा पर प्रकाश डालते हुए, विभाग के निदेशक, न्गानगोम उत्तम सिंह ने बताया कि उनके लिए अलग से संगरोध केंद्र खोलना आवश्यक था. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस समुदाय से यह रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद यह निर्णय लिया गया था कि, इस समुदाय के सदस्यों को अन्य महिला और पुरुष सदस्यों के साथ उक्त सुविधाएं साझा करने में असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा था.