वीर सावरकर जयंती- 28 मई, 2020

Special Article On Vinayak Damodar Savarkar Jayanti - कालापानी की सजा के  दौरान वीर सावरकर पर फांसी देखने की थी बाध्यता | Patrika News

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानी और राष्ट्रवादी नेता वीर सावरकर की 28 मई 2020 को जयंती है. भारतीय स्वतंत्रता के सिपाही और राष्ट्रवादी नेता वीर सावरकर की आज 137वीं जयंती है. उनकी जयंती के मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें याद करते हुए ट्वीट किया. उन्होंने लिखा वीर सावरकर भारत माता के ऐसे सपूत थे जिन्होंने अदभुत जीवट और राष्ट्रप्रेम का परिचय देते हुए इस देश को आज़ाद कराने में बड़ी भूमिका निभाई.

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महान क्रांतिकारियों में से एक विद्वान, अधिवक्ता और लेखक विनायक दामोदर सावरकर का नाम बड़े गर्व और सम्मान के साथ लिया जाता है. सावरकर को ‘वीर’ सावरकर के नाम से बुलाया जाता है. प्रधानमंत्री मोदी ने सावरकर की जयंती पर उन्हें याद करते हुए ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि वीर सावरकर की जयंती पर मैं उनको नमन करता हूं, हम उन्हें उनकी बहादुरी, स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान और हजारों लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए नमन करते हैं.

वीर सावरकर के बारे में
 
  • वीर सावरकर का जन्म महाराष्ट्र में नासिक जिले के भगूर ग्राम में 28 मई 1883 को हुआ था. सावरकर एक लेखक, कवि और ओजस्वी वक्ता थे. भारतीय राजनीति में सावरकर का नाम महानता और विवाद दोनों के साथ लिया जाता है.
  • उनकी माता का नाम राधाबाई तथा पिता का नाम दामोदर पंत सावरकर था. इनके दो भाई गणेश (बाबाराव) व नारायण दामोदर सावरकर तथा एक बहन नैनाबाई थीं. जब वे केवल नौ वर्ष के थे तभी हैजे की महामारी में उनकी माता का देहान्त हो गया था.
  • विनायक दामोदर सावरकर भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे. उन्हें वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है. हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा को विकसित करने का बहुत बड़ा श्रेय सावरकर को जाता है.
  • विनायक सावरकर बाल गंगाधर तिलक को अपना गुरू मानते थे. वे साल 1906 में बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए. वहां उन्होंने भारतीय छात्रों की सहयोग से आजाद भारत सोसाइटी का गठन किया.
  • उन्हें साल 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के छठे दिन ही गाँधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप में मुंबई से गिरफ़्तार किया गया था, लेकिन फ़रवरी 1949 में उन्हें बरी कर दिया गया था.
  • सावरकर का मन बचपन से ही क्रांतिकारी विचारों वाला रहा है. उन्होंने वकालत की परीक्षा फर्स्ट क्लास से पास की. लेकिन अंग्रेजी सरकार की वफादारी की शपथ नहीं ली तो अंग्रेजों ने उन्हें वकालत की उपाधि नहीं दी.
  • अंग्रेजों ने आंदोलन के दौरान उन्हें कालापानी की सजा दी थी. विनायक दामोदर सावरकर का निधन 26 फरवरी 1966 को हुआ था.