6वीं अनुसूची क्या है? जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने लद्दाख को जनजातीय प्रदेश घोषित करने का प्रस्ताव रखा

What Is 6th Schedule In Northeast Know Everything About Citizenship Bill |  Explained: 6वीं अनुसूची क्या है और क्यों इसकी वजह से पूर्वोत्तर के कुछ  हिस्सों में नागरिकता संशोधन ...

जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने केंद्र सरकार से भारतीय संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत लद्दाख को एक आदिवासी क्षेत्र के रूप में घोषित करने की सिफारिश की है. जनजातीय मंत्रालय ने 24 जनवरी, 2020 को केंद्र सरकार को यह प्रस्ताव भेजा है.

उत्तर-पूर्व भारत के चार राज्यों को छठी अनुसूची के तहत आदिवासी का दर्जा दिया गया है. यह राज्य गृह मंत्रालय के अधीन आते हैं. हालांकि, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम को पांचवीं अनुसूची के तहत आदिवासी क्षेत्र घोषित किया गया है. यह राज्य जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं.

जनजातीय कार्य मंत्रालय का प्रस्ताव
 

मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने गृह मंत्रालय को लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा प्रदान करने के लिए एक प्रस्ताव भेजा है. प्रस्ताव में कहा गया है कि जनजातीय मंत्रालय लद्दाख की विरासत को समृद्ध और संरक्षित करने के लिए सभी आवश्यकताओं की देखभाल करेगा.

संविधान की 6वीं अनुसूची क्या है?

  • संविधान की छठी अनुसूची असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों के लिए अलग व्यवस्था करती है.
  • अनुच्छेद 244A को 22वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1969 के माध्यम से संविधान में जोड़ा गया था.
  • यह संसद को असम के कुछ आदिवासी क्षेत्रों और स्थानीय विधानमंडल या मंत्रिपरिषद या दोनों के लिए एक स्वायत्त राज्य स्थापित करने का अधिकार देता है.
  • इसे सबसे पहले 1949 में संविधान सभा द्वारा पारित किया गया था. यह जनजातीय आबादी के अधिकारों की रक्षा के लिए स्वायत्त जिला परिषदों (ADCs) को अधिनियमित करने की शक्ति प्रदान करता है.
  • एडीसी वे निकाय हैं जो जिले का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन निकायों को राज्य विधानसभा के भीतर स्वायत्तता दी गई है.

6वीं अनुसूची के लाभ

  • लद्दाख को आदिवासी क्षेत्र का दर्जा दिए जाने से दूसरे राज्यों के लोग वहां आकर नहीं बस पाएंगे.
  • इससे उस क्षेत्र की जनसांख्यिकीय विशेषता बनी रहेगी. छठी अनुसूची उस क्षेत्र की भूमि पर मूल निवासियों के विशेषाधिकार की रक्षा करती है.
  • छठी अनुसूची आदिवासी समुदायों को काफी स्वायत्तता प्रदान करती है.
  • जिला परिषद और क्षेत्रीय परिषद को कानून बनाने की वास्तविक शक्ति प्राप्त है.
  • ये निकाय क्षेत्र में विकास, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, सड़कों और नियामक शक्तियों के लिए योजनाओं की लागत को पूरा करने के लिए भारत की संचित निधि से धन को मंजूरी प्रदान कर सकते हैं.